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Showing posts from August, 2020

आशूरा का रोज़ा

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नबी करीम ﷺ ने फरमाया: आशूरा का रोज़ा मैं समझता हूँ के इस के ज़रिये अल्लाह तआला पिछले एक साल के (सगीरा) गुनाह माफ़ कर देगा। Allah's Apostle ﷺ said: “Fasting the day of ‘Ashura’, I hope, will expiate for the (sagheera) sins of the previous year.” Sunan ibne majah: jild 1, kitab ul siyam 7, hadith no. 1738 Watch Video:-

बॉलीवुड का अगला शिकार मुस्लिम लड़कियां।

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मुस्लिम समाज + बॉलीवुड की ताजा साजिश अपनी बच्चीयों के खातिर पूरा पढ़े ----------- लम्बे समय तक मुसलमानों को हाथ मे तस्बीह, एक कंधे पर बंदूक और गले मे अरबी गमछा लपेटे बड़ी दाढ़ी और मुंडी मूछों के साथ लगातार दिखा कर आपकी आतंकी छवि सफलता के साथ  रची गई। हिंदी फिल्मों की पहली साजिश करीब करीब पूरी हो चुकी है ।अब निशाने पर हैं आपकी बेटीयाँ । जी हाँ पिछले कुछ दिनों में एक नया ट्रेंड देखने मे आ रहा है जिसमे मुस्लिम लड़की गैर मुस्लिम लड़के से सच्चा प्यार करती है दोनों एक दूसरे के लिए जान देने,लेने को तैयार हैं वगैराह। *वीर ज़ारा* , *एक था* **टाइगर* से होता ये सिलसिला *इश्कजादे* में अपने उरूज़ पर पहुंचाया गया हाल ही मैं *खुदा हाफिज* , *गुलाबो* *सिताबो* और कई अन्य फिल्मो में यही देखने मे आ रहा है।  प्रेम से मेरा कोई बैर नही लेकिन मेरी चिंता इस साजिश को ले कर है क्योंकि मैं गवाह हूँ मुस्लिमो की छवि कैसे आतंकवादी की बनाई गई।   क्या अगला निशाने पर हमारी *बेटियाँ* हैं? क्या आपको नही लगता की उनके दिमाग मे बैठाया जा रहा है कि ये आम बात है अगर उन्हें मॉडर्न होना, या दिखना है तो तो गैर...

इस्लाम आतंक या आदर्श

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इस पुस्तक में स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य ने इस्लाम के अपने अध्ययन को बखूबी पेश किया है। स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य के साथ दिलचस्प वाकिया जुड़ा हुआ है। * वे अपनी इस पुस्तक की भूमिका में लिखते हैं- मेरे मन में यह गलत धारणा बन गई थी कि इतिहास में हिन्दु राजाओं और मुस्लिम बादशाहों के बीच जंग में हुई मारकाट तथा आज के दंगों और आतंकवाद का कारण इस्लाम है। मेरा दिमाग भ्रमित हो चुका था। इस भ्रमित दिमाग से हर आतंकवादी घटना मुझे इस्लाम से जुड़ती दिखाई देने लगी। इस्लाम, इतिहास और आज की घटनाओं को जोड़ते हुए मैंने एक पुस्तक लिख डाली-‘इस्लामिक आंतकवाद का इतिहास’ जिसका अंग्रेजी में भी अनुवाद हुआ। पुस्तक में स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य आगे लिखते हैं:- जब दुबारा से मैंने सबसे पहले मुहम्मद (सल्ललाहु आलैही वसल्लम) की जीवनी पढ़ी। – जीवनी पढऩे के बाद इसी नजरिए से जब मन की शुद्धता के साथ कुरआन मजीद शुरू से अंत तक पढ़ी, तो मुझे कुरआन मजीद के आयतों का सही मतलब और मकसद समझने में आने लगा। – सत्य सामने आने के बाद मुझ अपनी भूल का अहसास हुआ कि मैं अनजाने में भ्रमित था और इस कारण ही मैंने अपनी उक्त किताब-‘इस्ल...

मैयत पर अपने आप को मारना पीटना

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम। नबी करीम ﷺ ने फरमाया: जो शख़्स ( किसी मय्यत पर )  अपने रुख़्सार (गाल) पीटे गिरेबान फाड़े औ र  अहद जाहिलियत की सी बातें करे वो हम में से नहीं है।

सैय्यदना इमाम हुसैन के फ़ज़ाइल और मनाक़िब।

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सैयदना हुसैन रज़ि. के फ़ज़ाइल व मनाक़िब 【सहीह अहादीस की रौशनी में】  *नबी ए करीम  सल्ल. ने इरशाद फरमाया::*  और बेशक सैयदना हसन और हुसैन रज़ि. जन्नत के नौजवानो के सरदार हैं। (اسناد حسن) 📘 [जामेअ तिर्मिज़ी हदीस 3781]  हुसैन मुझसे है और और मैं हुसैन से हूँ, अल्लाह उससे मुहब्बत करे जो हुसैन से मुहब्बत करता है (اسناد حسن) 📘 [जामेअ तिर्मिज़ी हदीस 3775 ] ऐ लोगो आगाह हो जाओ! मैं भी इंसान हूँ, और करीब है कि मेरे पास मेरे रब का क़ासिद(मौत का फ़रिश्ता) आये और मैं उसकी बात क़बूल कर लूं।  मैं अपने बाद तुममें दो अज़ीम चीजें छोड़ कर जा रहा हूँ  *1* . पहली चीज तो अल्लाह की किताब है, इसमें हिदायत और नूर है, तुम अल्लाह की किताब को पकड़ो और इससे ताल्लुक मज़बूत करो। अल्लाह की किताब अल्लाह की रस्सी है, जिसने इसकी इत्तेबाअ की वो हिदायत पर है और जिसने इसे छोड़ दिया वो गुमराह हो गया। *2*. और दूसरी चीज मेरे अहले बैत हैं। मैं अपने अहले बैत के मुत्तालिक तुम्हें अल्लाह से डराता हूँ, मैं अपने अहले बैत के मुत्तालिक तुम्हें अल्लाह से डराता हूँ। (यानी उनके साथ अच्छा सुलूक करना!) 📘 _[सहीह म...

मेरे नबी के दिल का सहारा हुसैन है।

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मेरे नबी के दिल का सहारा हुसैन है, मौला अली के आंख का तारा हुसैन है।। क्या खूब खानदान रिसालत का फूल है, नबी के साथियों का प्यारा हुसैन है।। मौजूद इनमें सूरत और सीरत का हर कमाल,  दिलकश है दिल बड़ा है दुलारा हुसैन है ।। डटना सिखा दिया हमें हक पर हुसैन ने, हर कौम कह रही है हमारा हुसैन है।।  हर दौर में यज़ीद ए ज़माने के सामने आज़ादी ए हयात का नारा हुसैन है।।  बाला फक्रों नजर हम उन सब हुसैन का, राफात के आसमा का सितारा हुसैन है।।  कटवाया सर झुकाया ना बातिल के सामने, तैब दलील हक का मिनारा हुसैन है।।

तबलीगी जमात पर मुंबई हाई कोर्ट का फैसला! पढिये।

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बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्णय।  Tablighi Jamaat विदेशियों के खिलाफ FIR रद्द । धार्मिक समारोह में उपस्थिति को वीज़ा का उल्लंघन न कहें।  हाईकोर्ट ने  है कहा , तबलीग जमात को "बलि का बकरा" बनाया गया। जस्टिस नलवाडे ने कहा-  "रिकॉर्ड से पता चलता है कि तब्लीग जमात मुस्लिम का एक अलग संप्रदाय नहीं है, लेकिन यह केवल धर्म के सुधार के लिए एक आंदोलन है। सुधार के कारण हर धर्म वर्षों में विकसित हुआ है क्योंकि समाज में परिवर्तन के कारण सुधार हमेशा आवश्यक है। किसी भी मामले में, रिकॉर्ड से भी, यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि विदेशी जमाती  दूसरे धर्म के व्यक्तियों को इस्लाम में परिवर्तित नहीं कर रहे थे। रिकॉर्ड से पता चलता है कि विदेशी भारतीय भाषाओं में बात नहीं कर रहे थे जैसे हिंदी या उर्दू । वे अरबी, फ्रेंच आदि भाषाओं में बात कर रहे थे। उपरोक्त चर्चा के मद्देनजर, यह कहा जा सकता है कि विदेशियों तब्लीगी जमात के लोगों का सिर्फ मुस्लिमो को सुधार करने का मकसद था, ना की दूसरे लोगों का धर्म परिवर्तन।  तबलीगी जमात में भाग लेने वाले विदेशी नागरिकों के बा...

क्या मुहम्मद साहब ने अपनी बेटी से निकाह किया था

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क्या मुहम्मद साहब ने अपनी बेटी से शादी की थी। आजकल सोशल मीडिया पर  एक खास समुदाय की तरफ से जो इस्लाम से नफरत करते हैं, उनकी तरफ से झूठ फैलाया जा रहा है। यह इतना घटिया और घिनौना झूठ है, जिससे लिखते हुए और इसके बारे में सही जानकारी देते हुए भी हमें शर्म आ रही है । कि कोई इतनी घटिया बात किसी के बारे में कैसे सोच सकता है। वह नीच लोग यह कहते हैं कि हजरत मुहम्मद ने अपनी बेटी से निकाह किया। (अस्तगफिरुल्लाह,)  इतनी घटिया बात। आइए हम आपको सच्चाई बताते हैं। हजरत मोहम्मद (ﷺ) की चार बेटियां थी 1)ज़ेनब, 2)रुकैया, 3)उम्मे कुलसुम, और 4)फातिमा।   जिसमें से इस्लाम के दुश्मन काफ़िर लोगों ने हजरत मोहम्मद (ﷺ) की मासूम और लाडली बेटी ज़े नब को बहुत बेदर्दी और बेरहमी के साथ शहीद किया, जब वो गर्भवती थी।  हज़रत रुकैया, हज़रत उम्मे कुलसुम की मौत हो गयी थी।  सबसे छोटी बेटी हजरत फातिमा की शादी हजरत अली से हुई जिनके बेटे हजरत इमाम हसन और इमाम हुसैन हैं। अब यह लोग जो झूठ फैलाते हैं, कहते हैं, हजरत आयशा हजरत मोहम्मद (ﷺ) की बेटी थी।(अस्तगफिरुल्लाह,नाओजुबिल्लाह माज़ल्लाह)। जबकि ...

मेरे सहाबा को बुरा मत कहो।

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया: की मेरे सहाबा रज़ि अल्लाह अन्हु को बुरा ना कहो मेरे सहाबा को बुरा ना कहो और कसम है उस ज़ात की जिस के क़ब्ज़े व क़ुदरत में मेरी जान है अगर तुम में से कोई आदमी उहुद के पहाड़ के बराबर सोना खै़रात करेगा तो वो सहाबा के एक मुद खै़रात को भी नहीं पहुंच सकेगा और ना ही सहाबा के आधे मुद का सदक़ा करने को पहुंच सकता है। sahih muslim: jild 6, kitab 44 Fazail e sahaba RA, hadith no 6487 * _

मीडिया का नंगापन

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मीडिया का नंगापन :- मौलानाओं ने बिरियानी माँगा , इस खबर का सूत्र कौन था ? मौलानाओं ने अर्धनग्न होकर नर्सों को घूरा , इस खबर का सूत्र कौन था ? मौलानाओं ने थूका , इस खबर का सूत्र कौन था ? मौलानाओं ने नर्सों के सामने पेशाब किया , यह करते हुए अंजना ने देखा या रूबिका ने ? सुधीर ने देखा या दीपक ने ? मेरी समझ में नहीं आता कि अपने घर में बहन बेटी रखने वाले यह पत्रकार किस मुँह से किसी पर झूठा आरोप लगाकर उनका चरित्रहनन करते हैं और फिर अपनी बहन बेटी का सामना करते हैं ? अंजना ओम कश्यप की 18 साल की बेटी है , वह बांबे उच्चन्यायालय के फैसले के बाद अपनी माँ अंजना ओम कश्यप के बारे में क्या सोच रही होगी ? यदि सभी ऐंकर और पत्रकार नपुंषक नहीं होंगे , उनकी पत्नियाँ बाँझ नहीं होंगी तो सभी के औलादें होंगी। यह 24×7 झूठ परोसकर अपनी इन औलादों का सामना करते कैसे होंगे ? बांबे उच्चन्यायालय ने जब इन ऐंकरों और पत्रकारों को उनके स्टूडियो और न्यूज रूम में ही नंगा कर दिया है तब सवाल तो उठेगा कि मरकज और तबलीगी ज़मात पर हुए उस आक्रमण का हरजाना कौन भरेगा ? विदेश से जमात में आए मौलानाओं को अपराधी ब...

कर्बला का पैगाम

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 कर्बला का पैगाम जिस तरह इबराहीम (अलैहि०) ने अपने रब की रजा के लिए अपने बेटे इस्माईल (अ०) की गर्दन पर छुरी रख दी थी और अल्लाह का क़ुर्ब (नज़दीकी) हासिल करने के लिए अपने जज़्बात और एहसासात की परवाह किये बग़ैर अपने बेटे तक को क़ुर्बान करने के लिए तैयार हो गए थे, उसी तरह दीन में मामूली इनहिराफ़ (तब्दीली) को बर्दाश्त न करते हुए हज़रत हुसैन (र०) ने उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई यहाँ तक कि कर्बला के मैदान में शहीद हो गए। 1400 साल गुज़रने के बाद भी कर्बला के शहीदों  की अज़मत को याद किया जाता है, यहाँ तक कि ग़ैर-मुस्लिम हज़रात ने भी उनकी अज़मत को तस्लीम किया है।  लेकिन  क्या हज़रते-हुसैन (रज़ि०) की शहादत की अज़मत का एतिराफ़  करते रहना ही हमारे लिए काफ़ी है?   क्या उनको मुख़्तलिफ़ तरीक़ों से ख़िराजे-अक़ीदत पेश करते रहने से हमारे ऊपर के फ़र्ज़ और ज़िम्मेदारियाँ पूरी हो जाती हैं?  क्या कर्बला के शहीदों पर ढाए गए मज़ालिम पर मातम करके और उनकी शहादत की रौशनी में अपनी ज़िन्दगी के लिए कोई राहे-अमल (कार्यशैली) मुतैयन न करके हम कर्बला के शहीदों से सच्ची अक़ीदत रखने वाले मोमिन कहलाने के हक़द...

जब कोई अपनी बेटी की शादी...

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🌹नबी करीम ﷺ ने फ़रमाया: जब कोई शख़्स अपनी बेटी की शादी करना चाहे तो उस से इजाज़त ले ले। 🌹Nabi kareem ﷺ ne farmaya: jab koi shakhs apni beti ki shadi karna chahe toh uss se ijazat le le. 🌹The Prophet ﷺ said: When a man wants their daughter to get married, he should ask her permission. 📚  Musnad Abu Ya'ala: hadees no. 7229. Grade Sahih Buy Sahih Bukhari 1-4 Vol On Amazon

हर शुक्रवार नमाजियों की सेवा करने वाले सिख बुज़ुर्ग।

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पिछले 40 सालों से सिख धर्म से ताल्लुक रखने वाले बलजिंदर सिंह हर शुक्रवार निस्वार्थ मस्जिद में सेवा कर रहे हैं। अमृतसर की खैरूद्दीन मस्जिद जिसे जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता है वहां पर एक सिख बुजुर्ग पिछले 40 सालों से सेवा कर रहे हैं। वह कहते हैं की यह काम करने से मुझे सुकून मिलता है। I am a Sikh by birth and secular by nature. Every Friday, I finish my assignments early in the morning so that I can get free by afternoon to reach the mosque. I do sewa till the culmination of prayers. — Baljinder Singh मैं जन्म से सिख हूं।  और स्वभाव से धर्मनिरपेक्ष।  हर शुक्रवार को, मैं सुबह-सुबह अपने काम को पूरा करता हूं, ताकि दोपहर तक मस्जिद पहुंच सकूं।  - बलजिंदर सिंह The Sealed Nector- Biography Of Prophet Muhammad (PBUH)  Buy it On Amazon Holy Quran In English  Buy On Amazon Pavitra Quran Hindi  Buy on Amazon

एमएन रॉय ने इस्लाम के बारे में क्या कहा था।

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मानवेंद्रनाथ राय  (1887–1954) भारत के स्वतंत्रता-संग्राम के राष्ट्रवादी क्रान्तिकारी तथा विश्वप्रसिद्ध राजनीतिक सिद्धान्तकार थे। उनका मूल नाम 'नरेन्द्रनाथ भट्टाचार्य' था। वे मेक्सिको  और भारत दोनों के ही कम्युनिस्ट पार्टियों के संस्थापक थे। वे कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की कांग्रेस के प्रतिनिधिमण्डल में भी सम्मिलित थे। कम्युनिस्ट होने की वजह से धर्म के कट्टर विरोधी होने के बावजूद उन्होंने इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद ﷺ के बारे में यह कहा  "पूरी इंसानियत के इतिहास में हजरत मोहम्मद ﷺ जैसा इंकलाब दुनिया में लाये, वैसा इंकलाब कोई नहीं ला सकता, ना उनसे पहले कोई ला सका।" उन्होंने इस्लाम के इतिहास पर एक किताब लिखी, जो आज भी भारत में छपती है। और बेची जाती है। जो हिंदी और इंग्लिश दोनों में है। नीचे उस किताब का अमेज़न लिंक दिया गया है। Buy it on Amazon Buy it On Amazon ____________________________________ Watch The Video:-

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जिहाद और आंतकवाद की सच्चाई।

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मीडिया और इस्लाम विरोधियों द्वारा पिछले 30 वर्षों से इस्लाम को बदनाम करने के लिए यह प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है कि इस्लाम  आतंकवाद फैलाता है। गैर मुस्लिम और जो इस्लाम को नहीं मानता उसको कत्ल करने की इजाजत देता है। कुरान की कुछ आयतों को तोड़ मरोड़ कर वह इस तरह से कुरान को बदनाम करते हैं। जिहाद के बारे में जानने से पहले पवित्र कुरआन की इन आयतो को देखें:- जिन लोगों ने तुमसे धर्म के बारे में युद्ध नहीं किया, और तुम्हें देश (व घरों) से नहीं निकाला। उनके साथ अच्छा बर्ताव और न्याय करने से अल्लाह (ईश्वर) तुम्हें नहीं रोकता। बल्कि अल्लाह तो न्याय करने वालों से प्रेम करता है। _पवित्र क़ुरान 60:8 अल्लाह (ईश्वर) तुम्हें मात्र उन लोगों की मोहब्बत से रोकता है, जिन्होंने तुमसे धर्म के बारे में युद्ध किया और तुम्हें तुम्हारे देश (व घरों) से निकाला और देश से निकालने वालों की सहायता की। जो लोग ऐसे काफिरों से प्रेम करें वही लोग अत्याचारी हैं। _पवित्र कुरआन 60:9 इस्लाम में किसी बेगुनाह का कत्ल करना बहुत बड़ा पाप है:- जो व्यक्ति किसी की हत्या करें बिना इसके कि उसने किसी की हत्या की हो या पृथ...

जिहाद क्या है?

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जिहाद के कई चरण होते हैं :- सुबह जब एक मुसलमान अज़ान की आवाज़ सुन ता है तो दिल कहता है ज़रा और सोने दो और एक अंदर की आवाज जोर देकर कहते हैं, ‘उठो अल्लाह की इबादत का वक़्त हो गया है. और एक जिहाद शुरू हो जाता है इन्सान और उसके नफ्स के बीच. यह भी एक जिहाद है….  जब एक मुसलमान किसी गुनाह की तरफ या बुराई के तरफ अमादा होता है तो उनके दिल से एक आवाज़ आती है देखो तुम ग़लत कर रहे हो | यह आवाज़ बलात्कारी के पास भी आती है, चोर के पास भी आती है और ज़ालिम के पास भी आती है | इस अंतरात्मा की आवाज़ को सुन के गुनाह से खु को रोक लेना भी एक जिहाद है | समाज मैं जब बुराई बढ़ जाती है और नेकी कम हो जाती है  तो भी जिहाद किया जाता है कलम के ज़रिये  ,अपने लेखों के ज़रिये,  समाज में  ,शांति स्थापित करने और बुराइयाँ दूर करने के लिए. यह भी अल्लाह की इबादत का एक रूप है और यह कुरआन और मुहम्मद (स.अव.) की नसीहतों और हिदायतों ज़रिये ही किया जा सकता है।   इस्लाम हमें बताता है कि मुसलमानों को पहले अपने स्वयं के भीतर की बुराइयों के खिलाफ जिहाद करना चाहिए, हमारे बुरी आ...