मूसा बिन नसीर

पूरा नाम : मूसा बिन नसीर
पैदाइश  :  640 ईसवी
मुकाम पैदाइश : सीरिया 
मौत :   716  ईस्वी दमिश्क 
शहरियत : खिलाफत उमवी 
पेशा    :  फौजी क़ायद, गवर्नर

मूसा बिन नसीर का आबाई खानदान मसीही था और ऐन अल तमर के इलाके में रहता था शाम (सीरिया) ईरान के सरहद पर मौजूद है  यह शहर जो अहम कारोबारी शहर है खालिद बिन वलीद रजिअल्लाहो अन्हो ने जब अल तमर शहर फतह किया तो मूसा के वालिद नसीर को गिरफ्तार करके मदीना भेज दिया 
दस्तूर के मुताबिक वह गुलाम थे लेकिन इस्लाम कबूल करने के बाद उनके मालिक अब्दुल अजीज बिन मरवान ने आजाद करके अपना दोस्त बना लिया.

मूसा की पैदाइश दौरे फारुकी 19 हिज़री में हुई आप की तालीम और तबीयत उसी माहौल में हुई जिसमें उमर बिन अब्दुल अजीज मुजद्दीद अल्फ अव्वल परवरिश पा रहे थे
 अब्दुल मलिक ने मूसा को बसरा में खिराज वसूल करने का अफसर मुकर्रर किया लेकिन जल्द ही मूसा पर बददियानती का इल्जाम लगा जिसके बाद आप अपने मुरब्बी अब्दुल अजीज की सिफारिश पर सजा से बच गए. अब्दुल अजीज ने मूसा पर लगे हुए जुर्माने की रकम अपनी जेब से अदा किया.

अब्दुल अजीज ने उन्हें अपने पास मिस्र में बुलाया वह मूसा की दियानत और जहानत से वाकिफ़ थे और जानते थे कि उन्हें अजीम काम सौंपा जा सकता है. फिर उन्हें अफ्रीका में गवर्नर का ओहदा दिया गया.

मूसा बिन नसीर अच्छे जर्नल ही नहीं बहुत अच्छे मुंतजमीन भी थे और उससे बढ़कर वह मुबल्लिग भी थे. बर बर कबाइली लगातार बगावतों के आदि थे और सख्त से सख्त गवर्नरों मजालिम बर्दाश्त करने के सबब मुसलमानों से खार खाए रहते थे. एक ऐसे ही मसलह मुबल्लिग की जरूरत थी जो उनके नजरियात की तर्जुमानी कर सके.

इस्लामिक इकदार उनके दिलों में बैठा सके और उन्हें इस्लाम के पैरों कारों में शामिल करके इस्लामा का मुबल्लिग बना सके मूसा बिन नसीर अफ्रीका पहुंचे थे उन्होंने क़बाइली लोगों में घुल मिलकर उन्हें यकीन दिलाया कि मुसलमान की हैसियत से उनमें और मूसा में कोई फर्क नहीं और वह उन्हीं में से हैं.

गवर्नर के नए अंदाज पर बर्बर कबीला को खुशी और हैरत हुई मूसा के फौजी कमांडर तारिक बिन जियाद खुद बर बर कबीले थे और कूवत ईमानी और जज्बा जिहाद से भरा हुआ दिल का रखते थे तारिक बिन जियाद ने 7000 बर बर फौज की दीनी और फौजी ट्रेनिंग करके उसे किसी बड़ी मुहिम लिए तैयार किया गर्ज की बर बर कबीला को भरोसे में लेकर उन्हें एक करके उनकी तरबीयत करके और उनमें इस्लाम के के लिए  वफादारी और जिहाद का शौक पैदा करके फतह अंदलुस का पहला मरहला मुकम्मल किया गया.

काउंट जूलीन की तरफ से अंदलुस पर हमले की दावत मिलने पर वह वक्त आ गया जिसका मुसलमानों को इंतजार था 
राडर्क का जुल्म खुल चुका था उसके बद किरदारी के किस्से सबके सामने आ गये थे अंदलुस में ना सिर्फ यहूदी सताए जा रहे थे बल्कि गाथ कौम की आवाम भी तंग थी अमीर उमरा भी बादशाह से तंग आ गए थे.

समाज हर लिहाज से सड़ गल गया था और एक नए इंकलाब का इंतजार कर रहा था तारिक बिन जियाद  रहमुल्लाह अलैह ने अपने शुरुआती खिताब में ही मजलूम की हिमायत में जंग और खुदा का पैगाम पहुंचाने के जज्बात और मुजाहिदीन से सर धड़ की बाजी लगाने पर आमादा हो गए थे.

मूसा बिन नसीर रहमुल्लाह अलैह ने इस मौके पर निहायत मोहतात तर्ज अमल अख्तियार किया पहले काउंट जूलियन की वफादारी का इम्तिहान लिया और पहला हमला उससे करवाया 
फिर तारिक बिन जियाद को 7000 मुजाहिदीन के साथ भेजा और 5000 बतौर कमक रवाना किया और जूही गार्ड ईस्ट की फतेह की खबर मिली खुद भी अंदलुस पहुंचे और फतूहात में हिस्सा लिया.

बदकिस्मती से मूसा बिन नसीर का अंजाम भी निहायत इंदोह नाक हुआ वलीद बिन अब्दुल मलिक ने मौत से पहले मूसा को दमिश्क वापस पहुंचने के हुकुम दे दिए थे मूसा बिन नसीर माले गनीमत जर जवाहरात के साथ पाये तख्त वापसी के लिए रवाना हो चुके थे वलीद के मर्ज अल मौत में मुबतला होने के बाद सुलेमान बिन अब्दुल मलिक की ख्वाहिश थी की मूसा का दमिश्क में  दाखिला वलीद की मौत के बाद और उसकी अपनी तख्त नशीनी के वक्त हो लेकिन मुसा बिन नसीर अपने मोहसिन और मुरब्बी की खिदमत में जल्द से जल्द हाजिर होकर तोहफे और तहायफ़ और माल गनीमत पेश करना चाहते थे.

लिहाजा सुलेमान की ख्वाहिश के खिलाफ निहायत तेजी से पाए तख़्त पहुंचे. वलीद की तरफ से मूसा की बेहद इज्जत अफजाई हुई इंतकाम की आग को ठंडा करने के लिए सुलेमान ने तख्त नशीन होने के बाद मूसा बिन नसीर के तमाम ओहदे और मनसब से दस्तबरदार कर दिया और सारे ऐजाजात छीन लिए और उनकी तमाम जाएदादा जब्त कर ली.

यही नहीं बल्कि जब किसी साहब असर शख्सियत की सिफारिश पर मूसा बिन नसीर को कैद से निकाला गया तो सुलेमान ने उन पर कई लाख का जुर्माना लगा दिया मूसा  बिन नसीर इस कदर बड़ी रकम बतौर जुर्माना अदा करने के काबिल ना थे कहां फातेह स्पेन की हैसियत से शाही अंदाज और कहां अब एक तंग दस्त इंसान जो दो लुक्मों का भी मोहताज हो सुलेमान अब्दुल मलिक ने उनके बेटे अब्दुल अजीज बिन मूसा जिसे अपना यह अपना नायब बना कर आए थे कत्ल कर दिया और मूसा को कुछ देर जेल भी काटनी पड़ी और उसी जेल में उनके बेटे का सर उन्हें दिखाया गया जिस पर 80 साल बुजुर्ग और जरनैल का तबसिरा सिर्फ यह था कि सुलेमान तूने एक ऐसे जवान का कत्ल किया है जो रात को खुदा की इबादत करता था और दिन को रोज़ा रखता था.
 
यह सदमा जाहिर तौर पर उन्होंने सब्र से बर्दाश्त किया लेकिन एक नेक और बा सलाहियत बेटे की मौत उनके लिए ना काबिले बर्दाश्त साबित हुई और कैद से आजाद होने के बाद निहायत ही गुरबत में उनका इंतकाल होगया :

Naeem Akhtar

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