क्या मुहम्मद साहब ने अपनी बेटी से शादी की थी। आजकल सोशल मीडिया पर एक खास समुदाय की तरफ से जो इस्लाम से नफरत करते हैं, उनकी तरफ से झूठ फैलाया जा रहा है। यह इतना घटिया और घिनौना झूठ है, जिससे लिखते हुए और इसके बारे में सही जानकारी देते हुए भी हमें शर्म आ रही है । कि कोई इतनी घटिया बात किसी के बारे में कैसे सोच सकता है। वह नीच लोग यह कहते हैं कि हजरत मुहम्मद ने अपनी बेटी से निकाह किया। (अस्तगफिरुल्लाह,) इतनी घटिया बात। आइए हम आपको सच्चाई बताते हैं। हजरत मोहम्मद (ﷺ) की चार बेटियां थी 1)ज़ेनब, 2)रुकैया, 3)उम्मे कुलसुम, और 4)फातिमा। जिसमें से इस्लाम के दुश्मन काफ़िर लोगों ने हजरत मोहम्मद (ﷺ) की मासूम और लाडली बेटी ज़े नब को बहुत बेदर्दी और बेरहमी के साथ शहीद किया, जब वो गर्भवती थी। हज़रत रुकैया, हज़रत उम्मे कुलसुम की मौत हो गयी थी। सबसे छोटी बेटी हजरत फातिमा की शादी हजरत अली से हुई जिनके बेटे हजरत इमाम हसन और इमाम हुसैन हैं। अब यह लोग जो झूठ फैलाते हैं, कहते हैं, हजरत आयशा हजरत मोहम्मद (ﷺ) की बेटी थी।(अस्तगफिरुल्लाह,नाओजुबिल्लाह माज़ल्लाह)। जबकि ...
इस पुस्तक में स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य ने इस्लाम के अपने अध्ययन को बखूबी पेश किया है। स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य के साथ दिलचस्प वाकिया जुड़ा हुआ है। * वे अपनी इस पुस्तक की भूमिका में लिखते हैं- मेरे मन में यह गलत धारणा बन गई थी कि इतिहास में हिन्दु राजाओं और मुस्लिम बादशाहों के बीच जंग में हुई मारकाट तथा आज के दंगों और आतंकवाद का कारण इस्लाम है। मेरा दिमाग भ्रमित हो चुका था। इस भ्रमित दिमाग से हर आतंकवादी घटना मुझे इस्लाम से जुड़ती दिखाई देने लगी। इस्लाम, इतिहास और आज की घटनाओं को जोड़ते हुए मैंने एक पुस्तक लिख डाली-‘इस्लामिक आंतकवाद का इतिहास’ जिसका अंग्रेजी में भी अनुवाद हुआ। पुस्तक में स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य आगे लिखते हैं:- जब दुबारा से मैंने सबसे पहले मुहम्मद (सल्ललाहु आलैही वसल्लम) की जीवनी पढ़ी। – जीवनी पढऩे के बाद इसी नजरिए से जब मन की शुद्धता के साथ कुरआन मजीद शुरू से अंत तक पढ़ी, तो मुझे कुरआन मजीद के आयतों का सही मतलब और मकसद समझने में आने लगा। – सत्य सामने आने के बाद मुझ अपनी भूल का अहसास हुआ कि मैं अनजाने में भ्रमित था और इस कारण ही मैंने अपनी उक्त किताब-‘इस्ल...
भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आज़ादी दिलाने में अनगिनत मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की कुर्बानी दी लेकिन जब भी स्वतंत्रता आंदोलन की बात होती है, सिर्फ एक ही नाम सामने आते हैं। उस नाम से आप भली-भांति वाकिफ हैं। जी हां, वह और कोई नहीं बल्कि ‘अशफाक उल्लाह खान’ हैं। मुद्दा यह है कि क्या सिर्फ ‘अशफाक उल्लाह खान’ ही भारत के स्वतंत्रा आंदोलन में शामिल थे? अगर गहन अध्यन किया जाए तब आप देखेंगे कि 1498 की शुरुआत से लेकर 1947 तक मुसलमानों ने विदेशी आक्रमणकारियों से जंग लड़ते हुए ना सिर्फ शहीद हुए बल्कि बहुत कुछ कुर्बान कर दिया। फतवा राष्ट्रप्रेम का ‘मौलाना हुसैन अहमद मदनी’ ने अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ फतवा दिया कि अंग्रेज़ों की फौज में भर्ती होना हराम है। अंग्रेज़ी हुकूमत ने मौलाना के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया। सुनवाई में अंग्रेज़ जज ने पूछा, “क्या आपने फतवा दिया है कि अंग्रेज़ी फौज में भर्ती होना हराम है?” मौलाना ने जवाब दिया, ‘हां फतवा दिया है और सुनो, यही फतवा इस अदालत में अभी दे रहा हूं और याद रखो आगे भी ज़िन्दगी भर यही फतवा देता रहूंगा।’ इस पर जज ने कहा, “मौलान...
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